जेल से बाहर अइहें राजीव गांधी के हत्या के दोषी, सुप्रीम कोर्ट दिहलें रिहाई के आदेश
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट सुक्क के बड़ फैसला सुनवले बानें। एह हत्याकांड में उम्रकैद के सजा काट रहल छह दोषियन के समय से पहिले रिहाई के मांग के सुप्रीम कोर्ट मान लिहले बा। सुक्क के शीर्ष अदालत नलिनी श्रीहरन अउर आरपी रविचंद्रन समेत छह दोषियन के समय से पहिले रिहाई के आदेश सुनवले बानें।
बता देईं, नलिनी अउर रविचंद्रन समय से पहिले रिहाई के ले के शीर्ष अदालत के रुख कइले बानें। न्यायमूर्ति बीआर गवई अउर न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना के पीठ कहली कि मामिला के दोषियन में से एक एजी पेरारिवलन के मामिला में शीर्ष अदालत के फैसला उनके मामिला में भी लागू होत रहे। दरअसल, शीर्ष अदालत 18 मई के पेरारिवलन के रिहा करे के आदेश दिहले बानें। ऊ जेल में 30 साल से बेसी सजा कटले बानें।
तमिलनाडु सरकार कइलस रिहाई के समर्थन
एसे पहिले एह मामिला में न्यायमूर्ति बीआर गवई अउर न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना के पीठ मामिला के आजु खातिर रोक देहले रहनें। दरअसल, तमिलनाडु सरकार राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियन के नलिनी श्रीहरन अउर आरपी रविचंद्रन के समय से पहिले रिहाई के समर्थन करत कहलें कि उनके उम्रकैद के सजा खातिर 2018 के सलाह राज्यपाल पर बन्हाइल बा।
राज्यपाल से कइले रहनें सजा में छूट के सिफारिश
दू अलग-अलग हलफनामा में राज्य सरकार शीर्ष अदालत के बतवलस कि 9 सितंबर, 2018 के हुई कैबिनेट के बैठक में ऊ मामिला में सात दोषियन के दया याचिका पs विचार कइले रहनें अउर राज्यपाल से आपन शक्तियन के प्रयोग कsके उनकर आजीवन कारावास के सजा में छूट के सिफारिश कइले रहनें। हलफनामा में कहल गइल बा कि श्रीहरन, रविचंद्रन, संथन मुरुगन, एजी पेरारिवलन, रॉबर्ट पायस अउर जयकुमार के उम्रकैद के सजा सुनावल गइल अउर ऊ लोग 23 साल से बेसी समय जेल में बितवले बा लोग।
राज्य सरकार कहलस कि ऊ अनुच्छेद 161 के तहत श्रीहरन अउर रविचंद्रन द्वारा दायर याचिका पs निर्णय लेवे खातिर सक्षम बानें अउर 9 सितंबर, 2018 के राज्य कैबिनेट के निर्णय अंतिम बा अउर राज्यपाल एके मान सकतने।
श्रीहरन 30 साल से बेसी समय से वेल्लोर में महिला लोग खातिर एक विशेष जेल में बंद बानें, जबकि रविचंद्रन मदुरै के केंद्रीय कारागार में बंद बा अउर ओ के 29 साल के कारावास अउर छूट सहित 37 साल के कैद भइल रहे। शीर्ष अदालत 26 सितंबर के श्रीहरन अउर रविचंद्रन के समय से पहिले रिहाई के मांग वाली याचिका पर केंद्र अउर तमिलनाडु सरकार से जवाब मंगले रहल। दूनों लोग मद्रास हाई कोर्ट के 17 जून के एक आदेश के चुनौती देहले बानें, जेमे उनकर जल्दी रिहाई खातिर याचिका खारिज कs दीहल गइल रहे, अउर सह-दोषी पेरारिवलन के रिहाई के आदेश देवे वाले शीर्ष अदालत के फैसिला के हवाला दिहलें।
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