विसंगतियन के अपने रचना में उकेरले में माहिर हवें नंद कुमार त्रिपाठी

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वरिष्ठ कवि नंद कुमार त्रिपाठी के भोजपुरी रचना में सामाजिक, सांस्कृतिक अउर राजनीतिक विसंगतियन के शब्दचित्र हर जगह दिखाई पड़sला। विसंगतियन के अपने रचना के आधार बनवला में नंद कुमार जी के महारत हासिल हवे। एह से कवि के सघन संवेदनशील होखले के सबूत मिलsला।

ई बात वरिष्ठ कवि /गीतकार वीरेंद्र मिश्र दीपक ‘भोजपुरी संगम’ के 154 वीं ‘बइठकी’ में कवि नंद कुमार त्रिपाठी के रचना के समीक्षा करत कहलें। एसे पहिले कवि धर्मेन्द्र त्रिपाठी भोजपुरी के सुख्यात कवि सुभाष यादव के लिखल समीक्षा के पाठ कइलें। कवि चन्देश्वर परवाना के मानस विहार कालोनी, पादरी बाजार, गोरखपुर स्थित आवास पर भइल एह कार्यक्रम के अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार शम्स गोरखपुरी अउर संचालन अवधेश शर्मा ‘नन्द’ कइलें।

एही क्रम में नंद कुमार त्रिपाठी के रचना पर उपस्थित रचनाकार लोग खुलहा मन से बात करत दूसरे भाषा के शब्द के प्रयोग के ले के सार्थक सवालो उठावल, जेकर वरिष्ठ साहित्यकार डा. फूलचंद गुप्त बहुते बेबाकी से जवाब देत कहनें कि अंग्रेजी के लोक प्रचलित शब्द के, जेकर विकल्प भोजपुरी में नइखे, हूबहू प्रयोग कइले में कौनो हर्जा नइखे।

‘बइठकी’ के दूसरे सत्र में उपस्थित रचनाकार लोग काव्यपाठ कइल, जेमें डॉ.फूलचंद प्रसाद गुप्त, चन्देश्वर ‘परवाना’, नर्वदेश्वर सिंह, सुधीर श्रीवास्तव ‘नीरज’, अरविंद ‘अकेला’, राम समुझ ‘साँवरा’, वीरेंद्र मिश्र ‘दीपक’, वागेश्वरी मिश्र ‘वागीश’, राम सुधार सिंह ‘सैंथवार’, कुमार अभिनीत के नाम उल्लेखनीय बा। कार्यक्रम में डाॅ ब्रजेन्द नारायण, हरिनाथ कुशवाहा, रवीन्द्र मोहन त्रिपाठी, सौरभ शर्मा समेत कई दर्जन लोग उपस्थित रहल।

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