फीचर डेस्क। पंचांग के अनुसार, हर साल भाद्रपद में आवे वाली शुक्ल पक्ष के अष्टमी तिथि से महालक्ष्मी व्रत के सुरूआत मानल जाला। संगही एह व्रत के समापन आश्विन माह के कृष्ण पक्ष के अष्टमी तिथि पs होला। अइसन मानल जाला, कि जे केहू साधक सरधा से एह व्रत के करेला, ओकरा धन संबंधी समस्यन से मुक्ति मिलेला आ जिनगी में सुख-समृद्धि के आगमन होला।
महालक्ष्मी व्रत में आवे वाला सुक विशेष महत्व रखेला। अइसन में रउआ महालक्ष्मी व्रत के आखिरी सुक पs एह तरे देवी महालक्ष्मी के प्रसन्न कs के उनकर आशीर्वाद प्राप्त कs सकत बानीं।
जरूर करीं ई काम
महालक्ष्मी व्रत के दौरान कलाई में एगो 16 गांठ वाला पवित्र धागा बांधल जाला, जवना के देवी लक्ष्मी के 16 स्वरूपन के प्रतीक के रूप में देखल जाला। एह पवित्र धागा के रउआ व्रत समाप्ति के बाद अपना तिजोरी भा धन के स्थान पs रख सकत बानी। अइसन कइला से रउआ धन के कमी के सामना ना करे के पड़ेला।
करीं एह चीजन के दान
महालक्ष्मी व्रत के दौरान रउआ गरीबन आ जरूरतमंद लोगन के धन, भोजन आ वस्त्र आदि के दान कs सकत बानी। एकरा संगही रउआ मिठाई, दूध, चावल आ सफेद वस्त्रन के दान कs सकत बानी। महालक्ष्मी व्रत के दौरान एह चीजन के दान कइल बहुते सुभ मानल गइल बा। एकरा से साधक के मां लक्ष्मी के किरपा के प्राप्ति होला।
रखीं एह बातन के ध्यान
हिंदू धर्म में मानल गइल बा है कि मां लक्ष्मी खाली ओहि स्थान पs वास करेली, जहां साफ-सफाई के ध्यान रखल जाये। अइसे में मां लक्ष्मी के किरपा प्राप्ति खातिर अपना घर के साफ-सफाई के पूरा ध्यान रखीं। एह व्रत में नमक के सेवन वर्जित बा। खाली सात्विक भोजन करीं आ खट्ट आ नमकीन चीजन से दूरी बनाईं।
करीं एह मंत्रन के जप
1. ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः
2. ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
3. श्री लक्ष्मी बीज मंत्र –
ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नमः।।
4. लक्ष्मी प्रार्थना मंत्र –
नमस्ते सर्वगेवानां वरदासि हरे: प्रिया।
या गतिस्त्वत्प्रपन्नानां या सा मे भूयात्वदर्चनात्।।
5. श्री लक्ष्मी महामंत्र –
ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।
नोट: एह लेख में बतावल गइल उपाय/लाभ/सलाह आ कथन खाली सामान्य सूचना खातिर बा। खबर भाेजपुरी इहां एह लेख फीचर में लिखल गइल बातन के समर्थन ना करेला।