आज भैरवाष्टमी ह। भैरव के भगवान रुद्र अउर विष्णु के अवतार मानल जाsला। राजस्थान के शेखावटी में प्राचीन भैरव मंदिर ह जौन आस्था के बड़ केंद्र ह। इहां हर साल लाखो श्रद्धालु भैरव के दरबार में पहुंचेलें। मान्यता बा कि एह मंदिर में मांगल गइल, हर मनोकामना पूरा होला।
450 साल पुराना ह मंदिर
रानोली के ई काल भैरव मंदिर करीब 450 साल पुरान ह। मंदिर के पुजारी बतवलें कि कई साल पहिले भैरव के प्रतिमा रुपगढ़ के लगे खातीवास से लावल गइल रहे। मान्यता बा कि इहां भैरव स्वयं ही प्रकट भइल रहनें। शिश्यू भैरव के एह मंदिर के मान्यता ह कि इहाँ पर दर्शन मात्र से ही भक्त लोग के सब मनोकामना पूरा होला। एहीलिए हर साल भैरवाष्टमी पर श्रद्धालुअन के तांता लागल रहsला।
शिव के दूसरा रूप हवें भैरव
पुराणों के अनुसार मार्गशीष कृष्णाष्टमी के मध्यान्ह के समय भगवान शंकर के अंश से भैरव के उत्पत्ति भइल रहे। एहीलिए ई दिन भैरवाष्टमी के रूप में मनावल जाला। पुराणन के अनुसार भैरव भगवान शिव के दूसरा रूप हवें, भैरव के अर्थ भयानक अउर पोषक दूनों हवें, इनसे काल भी डेराइल रहsला। एहीलिए इनके काल भैरव कहल जाला।
हर साल लागsला भंडारा
रानोली के एह भैरव मंदिर में भैरवाष्टमी पर कई साल से सर्व समिति से भंडारा के आयोजन कइल जाला। एकरे सथही भव्य जागरण भी होला। जेमें बड़ संख्या में श्रद्धालु सम्मलित होनें अउर काल भैरव से आशीर्वाद लेके जानें।
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