कजरी तीज के परब भारत के कई हिस्सा में बहुत श्रद्धा भाव से मनावल जाला। ई मुख्य रूप से उत्तर भारत के राज्य जइसे राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, आ मध्य प्रदेश में परसिद्ध बा। कजरी तीज के कई जगह कजली तीज भा बूढ़ी तीज भी कहल जाला। ई परब खास कs के मेहरारूवन खातिर बा, जे अपना पति के दीर्घायु आ सुख आ समृद्धि के कामना करेली. आज हम बताइब कि कजरी तीज के दिन कइसे पूजा करे के चाहीं ताकि वैवाहिक आ प्रेम जीवन में बढ़िया परिणाम मिले। कजरी तीज के पूजा विधि
1. एह तरह करीं व्रत के तैयारी
-अगर कजरी तीज के दिन व्रत करे वाला बानी तs सूरज उगे से पहिले जाग के नहा के साफ कपड़ा पहिरे के चाही।
– एकरा बाद संकल्प लेके व्रत के नियम के पालन करे के चाहीं।
2. पूजा सामग्री
– औरतन के पूजा थाली में कच्चा कपास, रोली, अक्षत, सिंदूर, मेहंदी, काजल, मेकअप के सामान, घी, धूप, दीपक, मिठाई, आ फल रखे के चाहीं।
– भींजल माटी भा बालू से भगवान शिव, माई पार्वती आ उनकर वाहन नंदी के मूर्ति बनावे के चाहीं।
– पूजा स्थल पs पानी से भरल कलश रखे के चाहीं आ ओकरा ऊपर नारियल भी रखे के चाहीं।
– अगर रउआ पूजा स्थल के फूल से सजाईं तs एकरा के बहुत शुभ मानल जाला।
3. कजरी तीज के पूजा विधि
– पूजा के समय सबसे पहिले भगवान शिव, माई पार्वती आ नंदी जी के विधिवत पूजा करे के पड़ेला।
– एकरा बाद भगवान के आरती कs के ओकरा के खाना चढ़ा दीं।
– ओकरा बाद पति के दीर्घायु आ सुख समृद्धि खातिर शिव पार्वती के ध्यान करके व्रत करे के संकल्प लेबे के चाहीं।
– कजरी तीज के दौरान शादी के सामान भी बांटल जाला, जवना में मेहंदी, चूड़ी, बिंदी, सिंदूर आदि शामिल बा।
– रात में चाँद देख के कजरी तीज के व्रत तोड़े के चाहीं। व्रत तोड़त घरी चंद्रमा के दर्शन के साथे भगवान शिव आ माता पार्वती के आरती भी करे के चाहीं।
– महिला फल आ मिठाई के सेवन करके व्रत तोड़ सकेली।
कजरी तीज के महत्व
कजरी तीज के परब महिला खातीर बहुत खास मानल जाला। पति के दीर्घायु, सुख, समृद्धि आ वैवाहिक सुख खातिर ई व्रत मनावल जाला। कजरी तीज के परब हमनी के जीवन में प्रेम आ सौहार्द बढ़ावे खातिर मानल जाला।
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