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कविता

मनहरण घनाक्षरी (कविता)- गणेश नाथ तिवारी विनायक जी के कलम से

मनहरण घनाक्षरी फगुनी बयार झरे ,लोगवा गुहार करे। धनि मनुहार करे,बाति मोरा मान ली।। बानीं परदेस रवा,चलि आई देस रवा। तनिको ना देर करी,मनवा में ठान…

एह फ़ाग में पिया तोहर नऊवे एक रंग बा (होली कविता)- नेहा नूपुर के कलम से

एह फ़ाग में पिया तोहर नऊवे एक रंग बा इहे बा गुलाल मोरा, इहे मोर भंग बा आके तू हमके गरबा लगाव खेत खलिहान दुअरवा देखाव नौलक्खा ना दसलखा सइयां…

भोजपुरी लिखे के सीखीं (कविता/गज़ल गीत) : शशि रंजन मिश्र के कलम से

भइया हो! भोजपुरी लिखs हिंदी काहे हिनहिनावत बाड़s? भासा भाव के भेव बुझs गाय भईंस के सिंघ काहे मिलावत बाड़s बोललका लिखलका में भेव काहे…

बाबूजी (कविता)- मैकश के कलम से

बात बात प भले, रूस खिसिया जालन बाबूजी बाकी दुख मे जब रहिले त,याद आ जालन बाबूजी केहु देहाती केहु कहे ,पढ़े मे जीरो हवन बाबूजी जे भी बारन हमरा…

कुमार आशु के नेह के गीत

अखियां देखे खातिर तरसे.. दिन भर याद में तहरा बरसे.. हरदम रहत बाटें तहरे ही खुमार सजनी..! जबसे भइल बाटें हमके तहसे प्यार सजनी..!! सुतत जागत हर पल…

निरगुन भक्ति धारा के पहिल संतकवि कबीरदास

'संत कबीर के सगुनोपासना' - डॉ. जयकान्त सिंह 'जय' संत कबीरदास के बारे ई आम राय बा कि ऊ उत्तर भारत में निरगुन भक्ति धारा के पहिल संतकवि हवें। बाकिर…