बर्गर, चाऊमीन अउर मोमोज खइले से पड़ सकsता मिर्गी के दौरा

कुमार आशू

अगर आप बर्गर, चाऊमीन, स्प्रिंग रोल और मोमोज जैसे फास्ट फूड खाने के शौकिन हैं तो सावधान हो जाइए। इस तरह के फास्ट फूड का सेवन करने वालों में मिर्गी जैसी बीमारी का खतरा 90 फीसदी ले बढ़ जाला। कारण बा एमें पड़े वाली अधपाकल सब्जी। चिकित्सकन के मुताबिक एह सब्जियन में क्रिमी टेपवर्म मिलले के आशंका अधिक होला। ठीक से न पकले पर ई जिन्दे शरीर में घुस जाने सब अउर न्यूरोलॉजिक डिसॉर्डर के कारण बनेने सब।

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. नागेंद्र वर्मा बतवलें कि अधपाकल फास्ट फूड से जानलेवा क्रिमी टेपवर्म के शरीर में पहुंचले के आशंका 90 फीसदी ले होले। एसे जीवन पर भी संकट हो सकsता। क्रिमी टेपवर्म पेट के जरिए रक्त प्रवाह के जरिए दिमाग ले पहुंच जाने सब। एकरे वजह से दिमाग में गांठ पड़ जाला। अइसन स्थिति में खून के धमनियां ब्लॉक हो जाले अउर बैक्टीरिया नस के पंक्चर कs देला। एसे ब्रेन हेमरेज के खतरा 70 फीसदी रहsला।

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के न्यूरो सर्जन डॉ. सतीश नायक बतवलें कि ओपीडी में आठ से 10 फीसदी मरीज मिर्गी के शिकायत ले के आ रहल बानें। एहमें किशोर अउर युवा लोग के संख्या ढ़ेर बा। एकर वजह फास्ट फूड में पड़े वाला कच्चा पत्ता गोभी अउर पालक ह।

पत्ता गोभी अउर पालक में मिलsला सबसे ज्यादा

न्यूरो फिजिशियन डॉ. अनुराग सिंह बतवलें कि क्रिमी टेपवर्म सब्जियन में पावल जाला। सबसे ज्यादा पत्तागोभी, पालक अउर फूलगोभी में मिलsला। एह सब्जियन के इस्तेमाल फास्ट फूड में कइल जाला। एके लोग बिना पकवले खाने। एकरे वजह से टेपवर्म भोजन के संगे शरीर में घुस जाला। एक बेर ई शरीर में घुस गइल त दिक्कत शुरू हो जाला।

मरीज सिर में तेज दर्द, झटका के शिकायत ले के अस्पताल पहुंचेने। मरीजन के कई बेर मिर्गी के दौरा भी पड़sला। कई बेर मरीज बेहोश भी हो जाला। दिमाग के सीटी स्कैन में एकर जानकारी मिलsला। ई धीरे-धीरे दिमाग के नस में गांठ बना लेला। एकर सिंकाई भी मुश्किल होला।

तेजी से शरीर में फइलsला टेपवर्म

डॉ. सतीश नायक बतवलें कि टेपवर्म के सबसे पहिला हमला आंत पर होला। एकरे बाद ई रक्त प्रवाह के जरिए शरीर के नस के माध्यम से दिमाग ले पहुंच जाला। एकरे बाद एकर संख्या दिमाग के नस में तेजी से बढ़sला। दिमाग में ज्यादा कीड़ा होखले के कारण मरीज के तेजी से झटका आवsला। कई बेर डायलिसिस कइले के कोशिश भी होला लेकिन ई कीड़े ज्यादा तापमान पर मरेने। अइसन स्थिति में डायलिसिस कs पावल भी संभव नाइ होला अउर मरीज के मौत तक हो जाला।

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