Tileshwar Nath: सावन में करिया, गरमी में गेहुंआ आ ठंडी में भूअर रंग के हो जाला ई शिवलिंग, ई बा रहस्य
गंगा के तट पs इस्थित मंदिर के ई शिवलिंग अपना रहस्यमयी स्वरूप खातिर जानल जाला। पांडवकालीन शिवलिंग साल के तीन ऋतुअन में तीन बेर आपन स्वरूप बदले खातिर प्रसिद्व बा। एकरा पs भक्तन के अपार श्रद्धा आ विश्वास बा। मान्यता बा कि पांडव लोग एकरा के अपना अज्ञातवास के दौरान स्थापित कइले रहे लो।
भदोही: गोपीगंज क्षेत्र के तिलंगा इस्थित तिलेश्वर नाथ मंदिर में स्थापित शिवलिंग साल में तीन बेर आपन स्वरूप बदलला के कारण लोगन के आस्था के केंद्र बनल बा। सावन में एह मंदिर के माहात्म्य बहुते बढ़ जाला। उनका के प्रसन्न करे खातिर भक्त सईयन किलोमीटर के पैदल कांवड़ यात्रा कs के उनकर जलाभिषेक करे पहुंचेला लो।
गंगा के तट पs इस्थित मंदिर के ई शिवलिंग अपना रहस्यमयी स्वरूप खातिर जानल जाला। पांडवकालीन शिवलिंग साल के तीन ऋतुअन में तीन बेर आपन स्वरूप बदले खातिर प्रसिद्व बा। एकरा पs भक्तन के अपार श्रद्धा आ विश्वास बा। मान्यता बा कि पांडव लोग एकरा के अपना अज्ञातवास के दौरान स्थापित कइले रहे लो। महाभारत के वन पर्व में एकर उल्लेखो मिलेला। एह मूर्ति के हर चार महीना में खुद से रंग बदल जाला। सावन में करिया स्वरूप, गरमी में गेहुंआ आ ठंडी में ई शिवलिंग भुअर स्वरूप में हो जाला। मंदिर के महासचिव जटाशंकर पांडेय बतावेलें कि 1997 में श्री तिलेश्वरनाथ शृंगार समिति के नेतृत्व में मंदिर सुंदरीकरण खातिर खुदाई कइल गइल रहे। 20 फीट खुदाई के बादो शिवलिंग के अंतिम छोर ना मिल पाइल रहे।
मंदिर के पुजारी महादेव गोसाई शिवलिंग के रहस्य के बारे में जानकारी देत कहलें कि ई शिवलिंग सावन के महीना में चप्पड़ (ऊपरी परत) छोड़ेला, बाकिर ऊ आज तक केहू के हाथे नइखे लाग सकल। ऊ बतवलें कि सच्चा मन से जवन कवनो मुराद मांगल जाला, ऊ जरूर पूरा होला। सावन के पूूरा एक महीना तक कांवरियन के भीड़ रहेला। सावन में ई शिवलिंग अपना करिया स्वरूप में भक्तन के दर्शन देला। ओहिजा सावन के अंतिम सोमार के बाबा के विशेष शृंगार कइल जाला। बाबा के एह स्वरूप के दर्शन करे खातिर दूर-दूर से भक्त आवेला लो। ओहिजा गांव वालन के सहजोग से देवाधिदेव महादेव के पूजा पाठ कइल जाला।
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