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जानीं सावन के महीना में काहें होला भगवान शिव के पूजा, महादेव के ई महीना काहें ह प्रिय?

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सावन के शुरू होइतही शिव मंदिर हर-हर महादेव अउरी बोल बम के जयकारन से गूंज उठsला. 14 जुलाई से 11 अगस्‍त ले शायदे कौनो मंदिर नाइ होई जहां शिव के भजन गुंजायमान ना होई। भगवान शिव के एतना पूजा खाली सावन महीना में काहे होला? सावन के शिव से का संबंध बा, जानीं..

भगवान शिव जेकरा के श्रावण मास के देवता कहल जाला। पूरा महीना धार्मिक पर्व होला आ सावन सोमार के खास तौर पर पूजा कइल जाला. भारत में सावन महोत्सव पूरा उत्साह से मनावल जाला। अगर हमनी के भोले भंडारी के बात कईल जाई त श्रावण माने सावन के महीना उनुका बहुत प्रिय बा। एकरा पीछे मान्यता बा कि दक्ष के बेटी माता सती आपन जीवन छोड़ के कई साल ले शापित जीवन जीयली।

पार्वती कइली तपस्या, तब शिव मिलनें

एकरा बाद हिमालय राज के घर में पार्वती के रूप में जनम लिहली। भगवान शिव के पति बनावे खातिर पार्वती सावन महीना भर घोर तपस्या कईली, जवना के चलते भगवान शिव आपन इच्छा पूरा कईले। ई श्रावण महीना भगवान शिव के पत्नी से मिलन के चलते बहुत प्रिय बा।

इहे कारण बा कि एह महीना कुंवारी लइकी लोग शिव जी से एगो बढ़िया दूल्हा खातिर प्रार्थना करेली। इहो मानल जाला कि सावन महीना में भगवान शिव अपना ससुराल में धरती पर भटकत रहले जहाँ अभिषेक कइला का बाद उनकर स्वागत कइल गइल रहे. एही से एह महीना में अभिषेक के महत्व बतावल गइल बा.

एगो कहानी इहो बा

धार्मिक मान्यता के अनुसार श्रावण महीना में असुर आ देवता लोग सागर के मंथन करत रहे। भगवान शिव मंथन से निकलल हलाहल जहर ले लिहले, जेकरा चलते इनके नीलकंठ नाम मिलल आ एह तरह से दुनिया के एह जहर से बचा लिहले।

एकरा बाद सब देवता लोग ओह लोग पर पानी डाल देले रहले, एही से शिव अभिषेक में पानी के एगो खास जगह बा। साथे-साथे बरसात के चातुर्मास में भगवान विष्णु योग निद्रा में जा के एही समय पूरा सृष्टि भगवान शिव के अधीन हो जाला। एह से भगवान शिव के प्रसन्न करे खातिर मनुष्य कई तरह के धार्मिक कार्य, दान, उपवास करेले।

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