Saphala Ekadashi 2025 : सफला एकादशी पs एह विधि से करीं भगवान विष्णु के पूजा, इहां पढ़ीं भोग, मंत्र आ सुभ मुहूर्त

Devotees worship Lord Vishnu on Saphala Ekadashi 2025 with lamp flowers and offerings

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नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के मोताबिक, आज माने 15 दिसंबर 2025 के सफला एकादशी के व्रत कइल जा रहल बा। एह दिन भगवान विष्णु आ मां लक्ष्मी के पूजा-अर्चना के विधान बा। धार्मिक मान्यता बा कि एह व्रत के रखला से साधक के बिगड़ल काम बन जाला, जिनगी में सुख-शांति आ समृद्धि बनल रहेला। अइसन में आईं जान लीं सफला एकादशी 2025 के पूजा विधि, भोग, मंत्र आ व्रत पारण के सही समय।

सफला एकादशी 2025 डेट आ शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार पौष माह के कृष्ण पक्ष के सफला एकादशी आज 15 दिसंबर के पड़ रहल बा, जबकि व्रत के पारण 16 दिसंबर के होई।

  • एकादशी तिथि शुरू: 14 दिसंबर, रात 08 बजके 46 मिनट
  • एकादशी तिथि समाप्त: 15 दिसंबर, रात 10 बजके 09 मिनट

सफला एकादशी पारण डेट आ टाइम

व्रत के पारण 16 दिसंबर के सबेरे 06 बजके 55 मिनट से 09 बजके 03 मिनट तक कइल जाई।

सफला एकादशी 2025 पूजा विधि

एकादशी के दिन सबेरे जल्दिये उठ के स्नान करीं। घर आ पूजा स्थान के अच्छा से सफाई करीं। भगवान विष्णु आ मां लक्ष्मी के प्रतिमा भा तस्वीर स्थापित करीं। दीपक जराके पूजा सुरू करीं।

  • विष्णु जी के चंदन, फूल आ तुलसी पत्र चढ़ाईं
  • सफला एकादशी व्रत कथा के पाठ करीं
  • एकादशी माता आ भगवान विष्णु के आरती उतारीं
  • आखिरी में भोग लगाके क्षमा प्रार्थना करीं

सफला एकादशी भोग

एह दिन भगवान विष्णु आ मां लक्ष्मी के पंचामृत, पंजीरी, पीली मिठाई, केला, आम, पियर फल वगैरह के भोग लगावल जाला।

विष्णु मंत्र

1. ॐ नमोः नारायणाय॥

2. विष्णु भगवते वासुदेवाय मन्त्र

ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥

3. ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।

तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

भगवान विष्णु की आरती

ॐ जय जगदीश हरे आरती

ॐ जय जगदीश हरे…

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।

भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥

ॐ जय जगदीश हरे…

जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।

स्वामी दुःख विनसे मन का।

सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥

ॐ जय जगदीश हरे…

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी।

स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।

तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥

ॐ जय जगदीश हरे…

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।

स्वामी तुम अन्तर्यामी।

पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥

ॐ जय जगदीश हरे…

तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।

स्वामी तुम पालन-कर्ता।

मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥

ॐ जय जगदीश हरे…

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।

स्वामी सबके प्राणपति।

किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥

ॐ जय जगदीश हरे…

दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।

स्वामी तुम ठाकुर मेरे।

अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥

ॐ जय जगदीश हरे…

विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा।

स्वामी पाप हरो देवा।

श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, संतन की सेवा॥

ॐ जय जगदीश हरे…

श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।

स्वामी जो कोई नर गावे।

कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥

ॐ जय जगदीश हरे…

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