समाज के बिगड़ल रूप के देखते चले लागेला कवि नंद के कलम

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गोरखपुर : भोजपुरी के चर्चित कवि-गीतकार अवधेश शर्मा नंद के कलम समाज के बिगड़ल रूप के देखते ही चले लागेला। उनकर कविता के भाव खाली गजल ना होला, समाज के बुराई पs भी काफी सलीका से चोट करत लउकेला।

एह विचारन पs खरैया पोखरा में आयोजित भोजपुरी संगम के 163 वां बइठक में चर्चा भइल। मौका रहे अवधेश नंद के कविता के समीक्षा करे के रहे।

कार्यक्रम के संचालन अरविंद अकेला कइले रहले आ अध्यक्षता वरिष्ठ कवि वीरेन्द्र मिश्र दीपक कइले रहले।

एह बइठक के पहिला सत्र में जब अवधेश नंद भोजपुरी सवैय्या, दोहा, गीत आ गजल आ आखिर में निरगुन गीत सुनवले त वर्तमान दर्शक भावुक हो गइले। एकरा बाद क्रमशः डॉ. कुमार नवनीत, वरिष्ठ कवि धर्मेन्द्र त्रिपाठी आ डॉ. फूलचंद प्रसाद गुप्त समीक्षा लेख पढ़ले। डॉ. कुमार नवनीत के लेख उनुका अनुपस्थिति में कुमार अभिनीत पढ़ले। आपन मौखिक समीक्षा में कार्यक्रम के अध्यक्ष वीरेंद्र मिश्र दीपक अवधेश शर्मा नंद के मानव संवेदना के दुर्लभ भोजपुरी साहित्यकार बतावत बधाई दिहलन। मौखिक समीक्षा देबे वालन में गीतकार चंद्रेश्वर परवाना आ वागेश्वरी प्रसाद मिश्रा भी उल्लेखनीय रहलें।

कार्यक्रम के दूसरा चरण में अवधेश नंद,सूरज राम आदित्य, डा. अजय जी अंजान, राम समुझ सांवरा, सुधीर श्रीवास्तव नीरज, केशव पाठक सृजन, अरविंद अकेला, ओम प्रकाश पांडेय आचार्य, नंद कुमार त्रिपाठी, चंद्रेश्वर परवाना, डा. फूल चंद गुप्त आ वागीश जी कविता पाठ कइले। संयोजक कुमार अभिनित आखिर में सभ रचनाकारन के प्रति आपन आभार जतवले।

 

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