माँ संतोषी व्रत: शास्त्र के अनुसार हर शुक्रवार के माता संतोषी के पूजा कईला से पईसा अवुरी बियाह से जुड़ल समस्या दूर हो जाला। एही साथे-साथे धन आ समृद्धि के प्राप्ति होला। संतोषी माता पूजा विधि और आरती के बारे में जानी…
संतोषी माता व्रत के पूजा विधि
शुक्रवार के दिने सूरज उगला से पहिले उठ के सगरी काम कइले के बाद नहा के साफ कपड़ा पहिनीं। अब माई संतोषी के ध्यान करत व्रत के संकल्प लीं। एकरा बाद पूजा में साफ जगह भा चौकी में लाल रंग के कपड़ा बिछा के माँ संतोषी के मूर्ति भा चित्र लगाईं। कलश के स्थापना करऽ। एकरा बाद औपचारिक तरीका से माता संतोषी के पूजा करीं। माता संतोषी के फूल, माला, सिंदूर, अक्षत आदि चढ़ाईं। भोग में माई के भींजल चना दाल आ गुड़, केला चढ़ाई। माता संतोषी के ध्यान कइला के बाद घी के दीप जरा के धूप जरा के विधिवत आरती करीं। माता संतोषी के व्रत कथा, चालीसा, मंत्र आदि के पाठ करके विधिवत आरती करीं। अब प्रसाद सबके बांट के कलश के पानी पूरा घर में छिड़क दीं।
सन्तोषी माता के आरती
जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता।
अपने सेवक जन की सुख सम्पति दाता ।।
जय सन्तोषी माता….
सुन्दर चीर सुनहरी मां धारण कीन्हो।
हीरा पन्ना दमके तन श्रृंगार लीन्हो ।।
जय सन्तोषी माता….
गेरू लाल छटा छबि बदन कमल सोहे।
मंद हंसत करुणामयी त्रिभुवन जन मोहे ।।
जय सन्तोषी माता….
स्वर्ण सिंहासन बैठी चंवर दुरे प्यारे।
धूप, दीप, मधु, मेवा, भोज धरे न्यारे।।
जय सन्तोषी माता….
गुड़ अरु चना परम प्रिय ता में संतोष कियो।
संतोषी कहलाई भक्तन वैभव दियो।।
जय सन्तोषी माता….
शुक्रवार प्रिय मानत आज दिवस सोही।
भक्त मंडली छाई कथा सुनत मोही।।
जय सन्तोषी माता….
मंदिर जग मग ज्योति मंगल ध्वनि छाई।
बिनय करें हम सेवक चरनन सिर नाई।।
जय सन्तोषी माता….
भक्ति भावमय पूजा अंगीकृत कीजै।
जो मन बसे हमारे इच्छित फल दीजै।।
जय सन्तोषी माता….
दुखी दारिद्री रोगी संकट मुक्त किए।
बहु धन धान्य भरे घर सुख सौभाग्य दिए।।
जय सन्तोषी माता….
ध्यान धरे जो तेरा वांछित फल पायो।
पूजा कथा श्रवण कर घर आनन्द आयो।।
जय सन्तोषी माता….
चरण गहे की लज्जा रखियो जगदम्बे।
संकट तू ही निवारे दयामयी अम्बे।।
जय सन्तोषी माता….
सन्तोषी माता की आरती जो कोई जन गावे।
रिद्धि सिद्धि सुख सम्पति जी भर के पावे।।
जय सन्तोषी माता….