कुंभ मेला दुनिया के सबसे बड़ धार्मिक-सांस्कृतिक आयोजन हs। जवन हर 12 साल पs देश के चार पवित्र स्थान – संगम शहर प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन या नासिक में आयोजित होला। अबकी बेर प्रयागराज में मेला के आयोजन होखे जा रहल बा। कुंभ मकर संक्रांति से शुरू होला आ महाशिवरात्रि के दिन खतम होला। बता दीं कि एह पावन मेला में भाग लेबे खातिर देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु आवेले। का रउवा जानत बानी कि कुंभ चार प्रकार के होला, जवन कि कुंभ, महा कुंभ, अर्ध कुंभ, आ पूर्ण कुंभ हs। जानी कि इनका में का अंतर बा…
कुंभ मेला
एकर आयोजन हर 12 साल में एक बेर हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन आ नासिक में से कवनो एक जगह पs होला। महाकुंभ में लाखों भक्त आ संत भाग लेवेले, जे पवित्र नदी में स्नान कs के पाप से मुक्ति के इच्छा राखेले।
अर्ध कुंभ
साथ ही हर 6 साल पs अर्ध कुंभ मेला के आयोजन होला। ई कुंभ खाली प्रयागराज आ हरिद्वार में होला। मुख्य रूप से अर्ध कुंभ में स्नान के महत्व होला, आ ई एगो महत्वपूर्ण अवसर भी होला जब भक्त लोग पवित्र नदी में स्नान कs के अपना पाप से मुक्ति पावे खातीर आवेले.
पूर्ण कुंभ
हर बारह साल में होखे वाला कुंभ मेला के पूर्ण कुंभ कहल जाला। ई संगम बीच के आयोजन खाली प्रयागराज में कइल गइल बा। प्रयागराज में होखे वाला कुंभ के खास महत्व बा काहे कि पूर्ण कुंभ के तिथि ग्रहन के शुभ संयोग पs तय होला। जवना के चलते लाखों करोड़ों हिन्दू धर्म के अनुयायी इहाँ जुट के पवित्र नदी में नहाएले।
महाकुंभ
एकरा साथे ही 12 गो पूर्ण कुंभ मेला के बाद महाकुंभ के आयोजन होला। महाकुंभ के तिथि 144 साल बाद आइल बा। इहे कारण बा कि लोग महाकुंभ में नहाए के खास महत्व देला। एह साल महाकुंभ संक्रांति से यानी 13 जनवरी 2025 से शुरू हो रहल बा आ 26 फरवरी 2025 के महाशिवरात्रि के समाप्त हो जाई।
कुंभ के तारीख कइसे तय होला?
असल में कुंभ मेला कवना जगहा होई एकर फैसला करे खातिर ज्योतिषी आ अखाड़न के प्रमुख एकजुट होके बृहस्पति आ सूर्य के स्थिति के अवलोकन करेलें। हिन्दू ज्योतिष में बृहस्पति आ सूर्य दुनों प्रमुख ग्रह हवें। एह गणना के आधार पs कुंभ मेला के स्थान आ तिथि तय कइल जाला।
इहो पढ़ीं : Christmas: क्रिसमस सेलिब्रेशन से पहिले लगाई इs फेस पैक, जगमगा उठी फेस