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गीतकार:- स्व0 राधामोहन चौबे ‘अंजन जी” स्वर:-श्रीमती अंजना मिश्रा जी संकलन:- शशिरंजन शुक्ल “सेतु जी” साभार:- अंजन परिवार फरवरी १९९० में ‘अंजन जी’ के भोजपुरी खण्ड काव्य ‘अनमोल मिलन’ प्रकाशित भइल रहे। कृष्ण-सुदामा मिलन के प्रसङ्ग पर आधारित ‘अनमोल-मिलन’ अंजन जी के गीतन के जइसे जनमानस में रच-बस गइल रहे। एह कृति के अनुपम भाव-गीत आजो बहुत चाव से गावल जाला। हमनी जे मन में विचार आइल कि ‘अनमोल मिलन’ के सब गीतन के क्रम से काव्य-प्रेमियन के समक्ष ले आवल जाव। विप्र सुदामा जी को जब माता सुशीला द्वारिका जी जाए के आग्रह करत रहली तब सुदामा जी के आनाकानी के भाव एह गीत में बड़ी मनोहारी रूप में पिरोवल गइल बा। 💐अनमोल मिलन-१💐 ना जाइबि, ना जाइबि, ना जाइबि हो धनि कान्हा का नगरी में ना जाइबि हो का जाने चिन्हिहें कि नाहीं कन्हइया बदलल बा बरिसन में केतना समइया बानी भिखारी खेदा जाइबि हो धनि कान्हा…….. ऊ हउवें राजा बा कोठा अटारी पहरा पर दरवान होंइहें दुआरी कइसे ओ रजऊ से मिलि पाइबि हो धनि कान्हा…….. धोती बा चिगुदाइल कुरुता बा फाटल बाति सुनि मिताई के, केहू जो डाँटल अपने बदन से लजा जाइबि हो धनि कान्हा…….. करमे में दुःख बाटे हमरा लिखाइल दुःखवे से बाटे, जब नाता जोराइल चकमक में जा के हेरा जाइबि हो धनि कान्हा…….. राधामोहन चौबे ‘अंजन जी’ साभार- “अंजन’ परिवार”🙏🙏
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