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गोरखपुर विश्वविद्यालय: कर्जा में कट रहल बा जिंदगी, उधार पर जरsता घर के चूल्हा

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दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में काम करत करीब 294 आउटसोर्स कर्मचारियन के सात महीना से मानदेय नइखे मिलल। अब इनकर जिंदगी कर्ज के भंवर में फंस गइल बा। उधार पर इनके घर के चूल्हा जरsता। मानदेय भुगतान के संबंध में विश्वविद्यालय प्रशासन के ओर से हर महीना भरोसे दीहल जाला।

गोरखपुर विश्वविद्यालय में निजी एजेंसी के माध्यम से कुशल अउर अकुशल श्रेणी के 294 कर्मचारी रखल गइल बा। कुशल श्रेणी के कर्मचारियन के 13,789 रुपये प्रति महीना अउर अकुशल श्रेणी के कर्मचारियन के 11,190 रुपया प्रति महीना मिलsला। एह राशि में पीएफ के भी कटौती कइल जाला।

पिछले कई साल से एजेंसी कर्मचारियन के पीएफ के राशि जमा नाइ कइले रहनें। एकर जांच विश्वविद्यालय प्रशासन करा रहल बा। उहवें नयका व्यवस्था के तहत आउटसोर्स पर रखल गइल कर्मचारियन के ड्यूटी के सत्यापन करावे खातिर कहल गइल। एह मामिला में मानदेय के भुगतान लटका दिहल गइल।

करजा में डूबल बानें कई कर्मचारी लोग

अब व्यवस्था नयका एजेंसी के दीहल गइल बा। ड्यूटी के सत्यापन हो रहल बा, लेकिन मानदेय नाइ दिहल जा रहल बा। विश्वविद्यालय के मीडिया अउर जनसंपर्क अधिकारी बतवलें कि मानदेय के भुगतान के प्रक्रिया अंतिम चरण में बा। सप्ताह भर में सब आउटसोर्स कर्मचारियन के बकाया मानदेय के भुगतान कs दिहल जाई।

परिवार के भरण पोषण खातिर कई कर्मचारी लोग कर्जा लिहले बा। कुछ कर्मचारी रुपया उधार ले के राशन-पानी के व्यवस्था कs रहल बानें। प्रशासनिक भवन में तैनात एगो कर्मचारी बतवलें कि अब ले 30 हजार रुपया के कर्जा ले चुकल बानीं। समझ में नइखे आवत कि का करीं?

आउटसोर्स के माध्यम से माली पद पर कार्यरत मोती निषाद के पिछले महीना मौत हो गइल रहे। परिवार वालन के आरोप रहल कि इलाज खातिर रुपया नइखे। छह दिन अस्पताल में भर्ती रहनें, दूसरे से करजा लेवे के पड़ल रहे। डिस्चार्ज करा के घर ले अइलें अउर मोती के सांस चल गइल।

साभार – अमर उजाला

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