पूरा दुनिया में मशहूर हs गोरखपुर के खिचड़ी मेला, इs चीज बनावेला खास

गोरखनाथ मंदिर

गोरखपुर के नाव 'नाथ संप्रदाय' के संत गोरखनाथ के नाव पs रखल गइल रहे

उत्तर प्रदेश राज्य के कई गो लोकप्रिय पर्यटन स्थल आ धार्मिक जगहन में गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर एगो प्रमुख स्थल बा जहाँ पूरा विश्व से भारी संख्या में लोग आवेला।

नाथ संप्रदाय के विश्व प्रसिद्ध मंदिर गोरखनाथ के आपन खास विशेषता बा, मठ के क्रम में अन्य हिन्दू धार्मिक समूह निहन जाति व्यवस्था के पालन ना होखेला।  एकरे परिणाम के रूप में गैर ब्राह्मण लोग पुरोहित के रूप में सेवा कs सकेला।

एह मंदिर में मकर संक्रांति के समय प्रसाद के रूप में खिचड़ी चढ़ावल जाला। एह दौरान यूपी, बिहार, नेपाल समेत अन्य राज्यन से लाखों श्रद्धालु इहाँ खिचड़ी चढ़ावे आवेलें।

गोरखनाथ मंदिर में पहिला खिचड़ी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चढ़ावेले.

मकर संक्रांति के अवसर पs पहिलका खिचड़ी नेपाली राजपरिवार के ओर से चढ़ावल जाला।  भारत आ नेपाल के अच्छा संबंध में नाथ संप्रदाय के अहम भूमिका बा। नेपाल में नाथ सम्प्रदाय के कई गो मंदिर बा जेकरा गोरखनाथ मंदिर पs गहिराह आस्था बा।

गोरखनाथ मंदिर में लागे वाला खिचड़ी मेला एक महीना भा ओकरा से अधिका समय ले चलेला. हजारों अलग-अलग प्रकार के दोकान मेला के आकर्षक रूप देवेला।  सर्कस, जादू समेत कई तरह के करतब से बच्चा के संगे सभके मनोरंजन होखेला।  

मंदिर के भीतर गोरक्षनाथ के संगमरमर के प्रतिमा, चरण पादुका के अलावा गणेश मंदिर, माँ काली, काल भैरव आ शीतला माता के मंदिर बा। साथे लेटल पांडू पुत्र विशालकाय भीम के भी दर्शन करे बड़ संख्या में लोग आवेले.

खिचड़ी चढ़ावे के ई परंपरा काफी पुरान बा।  हिन्दू मान्यता के अनुसार त्रेतायुग में गुरु गोरखनाथ हिमाचल के कांगड़ा में स्थित ज्वाला देवी मंदिर में गईल रहले।  इहाँ देवी उनका के दर्शन देके भोज में बोलवली।  कई तरह के पकवान देखला के बाद गोरखनाथ ज्वाला देवी से कहले कि उs खाली भिक्षा में दिहल दाल अवुरी चाउर खाले।  एकरा बाद देवी भिक्षा में दाल आ चाउर ले आवे के कहली।  एकरा बाद गोरखनाथ भिक्षाटन करत राप्ती आ रोहिणी नदी के लगे पहुंचले अवुरी इहाँ ध्यान में लीन हो गईले।  साधना करत घरी लोग उनका बर्तन में चाउर-दाल डालत रहले बाकिर उनकर बर्तन ना भरल रहे।  तब से गुरु गोरखनाथ के खिचड़ी चढ़ावे के परंपरा बा।