कुमार आशु के नेह के गीत
अखियां देखे खातिर तरसे..
दिन भर याद में तहरा बरसे..
हरदम रहत बाटें तहरे ही खुमार सजनी..!
जबसे भइल बाटें हमके तहसे प्यार सजनी..!!
सुतत जागत हर पल अँखिया में तू चलि आवेलू..
तनिक लजाके अखियाँ के कनखी से बतियावेलू..
तहके सोच के मनवा डोले..
तहके छुवे खातिर बोले..
तहसे मिले खातिर खोजत बा सुतार सजनी..!!
जबसे भइल बाटें हमके तहसे प्यार सजनी..!!
तहरे बदन के खुशबू लेके चले पवन पुरवाई..
देख के डाढ़ी झूमत लागे तू लेलू अंगड़ाई..
जब हम तहरे लग्गे आयीं
तहके डोली में ले आयीं
होखे हमरे खातिर तहार हर सिंगार सजनी..!!
जबसे भइल बाटें हमके तहसे प्यार सजनी..!!
– कुमार आशू
कुमार आशू ओ कवियन में बानें जेकरे गीत, नजम, अउर ग़जल में सुने आला लोग आपन दूख देख पावsला अउर ओके महसूसो करsला। जमीनी प्यार के रूमानी ले चहुँपवले में दूनो छोर पs एक जइसन पकड़ के चलते ही ई लोग में पसन्न कइल जानें।
खड्डा कस्बा के एगो छोटहन गाँव में आजु के एकइस बरिस पहिले पैदा होखे आला आशुतोष तिवारी (कुमार आशू) ए समय में गोरखपुर विश्वविद्यालय से एम ए में गोल्ड मेडलिस्ट भी बानें। बी ए से कविता लिखले के रचना परक्रिया के ‘आशुतोष’ से ‘कुमार आशू’ ले के सफर बड़ी मजदार रहल बा। कुमार आशू भोजपुरिआ माटी के कवि के संहे हिन्दियो में कविता लिखेने। एनकर ‘दोहद’ नाव के किताबो आ गइल बा। संहे-संहे एनकर कविता तमावन हिंदी भोजपुरी पत्र पत्रिका में छपs ला।
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